कामधेनु विश्वविद्यालय में बकरी पालन प्रबंधन एवं उद्यमिता विकास पर प्रशिक्षण का समापन

कामधेनु विश्वविद्यालय में बकरी पालन प्रबंधन एवं उद्यमिता विकास पर प्रशिक्षण का समापन

दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग के कुलपति डॉ.आर.आर.बी.सिंह के मार्गदर्शन तथा अधिष्ठाता/निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ.संजय शाक्य के कुशल नेतृत्व में पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा में बकरी पालक किसानों एवं उद्यमियों की विशेष मांग पर ”बकरी पालन प्रबंधन एवं उद्यमिता विकास” विषय पर 17 से 19 सितम्बर 2025 तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन सम्पन्न हुआ।

प्रशिक्षण में छत्तीसगढ़ की जलवायु के लिए उपयुक्त नस्लें, नस्ल सुधार, पोषण एवं प्रबंधन, आवास, चारा प्रबंधन, वैल्यू एडिशन, मांस उत्पादन तकनीक, बकरी में होने वाली परजीवी जनित रोग विभिन्न रोग एवं इनका रोकथाम, बकरी पालन से लाभ, विभिन्न योजनाओं, बैंक लोन प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी गई। कार्यक्रम का समापन कामधेनु विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति डॉ.यू.के.मिश्र के मुख्य आतिथ्य, निदेशक अनुसंधान सेवाऐं डॉ.जी.के.दत्ता, निदेशक प्रक्षेत्र डॉ.धीरेन्द्र भोंसले, अधिष्ठाता डॉ.के.मुखर्जी, प्राध्यापक डॉ.शैलेन्द्र तिवारी, डॉ.जे.आर.खान, विश्वविद्यालय जनसंपर्क अधिकारी डॉ.दिलीप चौधरी, प्रशिक्षण विशेषज्ञ एवं समिति सदस्य डॉ. हमेश रात्रे, डॉ. ओसामा कलीम, डॉ.ओ.पी.दीनानी, डॉ. दिप्ती किरण, डॉ.शिवेश देशमुख, डॉ. शबीर अनंत, अन्य प्राध्यापकों, कर्मचारियों तथा प्रदेश के विभिन्न जिलो से आए लगभग 68 प्रशिक्षणार्थियों की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया।

प्रथम कुलपति डॉ.यू.के.मिश्र ने अपने उद्बोधन में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए बकरी पालन एक सशक्त साधन बनता जा रहा है। ”बकरी पालन प्रबंधन एवं उद्यमिता विकास” से न केवल पशुपालकों की आय बढ़ेगी अपितु महिलाओ तथा युवाओं को स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध होगें। कुलपति डॉ.आर.आर.बी.सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन का विशेष स्थान है। वैज्ञानिक पद्वति द्वारा बकरी पालन कर छोटे एवं भूमिहीन किसान/पशुपालक भी अधिक से अधिक आर्थिक लाभ अर्जित कर सकते है, साथ ही ग्रामीण उद्यमी बनकर शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को ग्राम-स्तर पर रोजगार उपलब्ध करा सकते है।

अधिष्ठाता डॉ.संजय शाक्य ने अपने उद्बोधन में बताया कि बकरी का दूध, मांस और खाद्य उत्पादों की बाजार में लगातार बढ़ती मांग से यह व्यवसाय कम लागत में अधिक लाभ दने वाला सिद्व हो रहा है। प्रशिक्षण, आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं का सहयोग बकरी पालन एवं उद्यमिता विकास को नई दिशा प्रदान कर रहा है।

प्रशिक्षण आयोजक डॉ.रामचंद्र रामटेके ने प्रशिक्षणार्थियों के साथ 12 जुलाई को राष्ट्रीय बकरी दिवस पर आयोजित क्विज एवं निबंध प्रतियोगिता में प्रथम, दितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले संस्था के छात्र, छात्राओं को प्रमाण पत्र वितरित कर इनके उज्वल्ल भविष्य की कामना की गई। कार्यक्रम के समापन पर प्रशिक्षणार्थियों का फीडबैक लिया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ *.केशर परवीन* एवम् *डॉ.रूपल पाठक* द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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