धर्म, दान और शुभारंभ का पर्व: श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जा रही अक्षय तृतीया

धर्म, दान और शुभारंभ का पर्व: श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जा रही अक्षय तृतीया

राज्य/ आज पूरे क्षेत्र में अक्षय तृतीया का पर्व श्रद्धा, भक्ति और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन किया गया धार्मिक अनुष्ठान, दान और शुभ कार्य कभी क्षय नहीं होता, इसलिए इसे ‘अक्षय’ तिथि कहा जाता है।सुबह से ही मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। ग्रामीण अंचलों में महिलाएं पारंपरिक परिधान में मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचीं और व्रत-उपवास का पालन किया।

शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक दिनअक्षय तृतीया को शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, नई दुकान, व्यवसाय या सोना-चांदी खरीदने जैसे कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आज के दिन कई घरों में नए व्यवसाय शुरू किए जा रहे हैं और विवाह आयोजन भी देखने को मिल रहे हैं।

दान और सेवा का पर्वइस दिन जल, चावल, वस्त्र, फल, मिट्टी के घड़े और शर्बत जैसे वस्तुओं का दान विशेष पुण्यदायक माना जाता है। स्थानीय सामाजिक संगठनों और युवाओं ने पंडरिया, कवर्धा और अन्य क्षेत्रों में प्याऊ लगाकर राहगीरों को शीतल जल और शरबत वितरित किया।पौराणिक महत्व धार्मिक मान्यता के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, और इसी दिन महाभारत काल में पांडवों को अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था।

नव आरंभ और आत्मिक ऊर्जा का दिन यह दिन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि आत्म-शुद्धि, सेवा और समाज हित के कार्यों की प्रेरणा देने वाला पर्व है। आज का दिन लोगों को एक नया संकल्प लेने और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का अवसर देता है।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× How can I help you?