बैगा संस्कृति के संवाहक गोपीकृष्ण सोनी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बजाई अपनी धुन

बैगा संस्कृति के संवाहक गोपीकृष्ण सोनी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बजाई अपनी धुन

कवर्धा। पंडरिया ब्लॉक के सुदूर वनांचल ग्राम नेऊर से आने वाले शिक्षक एवं लोक संस्कृति साधक गोपीकृष्ण सोनी ने अंतरराष्ट्रीय साहित्य उन्मेष उत्सव में कवर्धा जिले का प्रतिनिधित्व कर क्षेत्र का गौरव बढ़ाया है।गोपीकृष्ण सोनी विगत 15 वर्षों से बैगा जनजाति के पुरुषों और महिलाओं की जीवन शैली, संस्कृति एवं पारंपरिक वेशभूषा पर फोटोग्राफी कर रहे हैं।

उनके पास 50 हज़ार से अधिक दुर्लभ फोटोज़ का संग्रह है। पिछले वर्ष भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा उनकी फोटो प्रदर्शनी दो बार आयोजित की जा चुकी है। इसके अलावा हैदराबाद के लोक मंथन में ‘गोदना’ विषय पर और दिल्ली की साहित्य अकादमी में भी दो बार उनकी प्रदर्शनी लग चुकी है।उन्होंने बिहार, पटना, रायपुर और दिल्ली सहित कई प्रांतों में बैगा संस्कृति और परंपराओं पर कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। मध्यप्रदेश के लोक कला मंच से वे पिछले पाँच वर्षों से जुड़े हुए हैं और बैगा जाति की गोत्र, गढ़ और वंशावली पर भी शोधपरक कार्य कर चुके हैं।हाल ही में अंतरराष्ट्रीय साहित्य उन्मेष उत्सव में गोपीकृष्ण सोनी ने बैगा जनजाति की लोककविता प्रस्तुत कर खूब सराहना बटोरी।

साहित्य अकादमी से वे आठ वर्षों से जुड़े हैं और कहानी, गीत व संस्कृति पर विभिन्न राज्यों में प्रस्तुति दे चुके हैं। बस्तर के प्रख्यात लेखक हरिहरन वैष्णो की पुस्तक में भी उनकी एक कहानी प्रकाशित है, साथ ही विविध मासिक पत्रिकाओं और अखबारों में उनके लेख नियमित रूप से प्रकाशित होते रहते हैं।गोपीकृष्ण सोनी की यह यात्रा न केवल बैगा जनजाति की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित कर रही है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पटल पर उसकी समृद्ध पहचान भी स्थापित कर रही है।

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