आरटीआई के तहत योग्यता व नियुक्ति दस्तावेज ‘निजी जानकारी’ नहीं: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

जबलपुर / सूचना के अधिकार को लेकर एक बड़ा और स्पष्ट फैसला सुनाते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त व्यक्ति की योग्यता, अनुभव प्रमाण पत्र, नियुक्ति विवरण और फाइल नोटिंग जैसी जानकारी को आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जे) के तहत “निजी जानकारी” नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि यह सभी जानकारियां सार्वजनिक डोमेन का हिस्सा हैं और इन पर “व्यक्तिगत गोपनीयता” के नाम पर रोक नहीं लगाई जा सकती। आरटीआई के तहत योग्यता व नियुक्ति दस्तावेज“जब कोई व्यक्ति सार्वजनिक पद के लिए चुना जाता है, तो उसकी योग्यता और चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता जनता के हित में होती है,” – न्यायमूर्ति अग्रवाल आरटीआई के तहत योग्यता व नियुक्ति दस्तावेज मामला क्या था?

मामला जयश्री दुबे बनाम केंद्रीय सूचना आयुक्त (CIC) का है, जिसमें याचिकाकर्ता ने भारतीय वन प्रबंधन संस्थान द्वारा की गई नियुक्तियों का विवरण मांगा था – जैसे:चयनित उम्मीदवारों की योग्यताअनुभव प्रमाण पत्रवेतन विवरणनियुक्ति पत्रCIC ने इसे “निजी जानकारी” बताते हुए आरटीआई आवेदन को खारिज कर दिया था।

हाईकोर्ट का तर्क:योग्यता और नियुक्ति से जुड़ी जानकारी निजी नहीं, बल्कि सार्वजनिक है।RTI Act की धारा 8(1)(जे) केवल तब लागू होती है जब सूचना ऐसी हो जिससे व्यक्ति की निजता को अनावश्यक नुकसान पहुंचे और कोई सार्वजनिक हित ना हो।

सार्वजनिक पद की नियुक्ति में पारदर्शिता ही सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

आरटीआई धारा 11 का भी हुआ उल्लेख:यदि जानकारी किसी तीसरे पक्ष से संबंधित हो, तो प्रकटीकरण से पहले सूचना दी जानी चाहिए।परंतु जब मामला पब्लिक इंटररेस्ट का हो, तब गोपनीयता को पीछे रखना ज़रूरी है।

⚖️ फैसले के मुख्य बिंदु:

✅ सार्वजनिक दस्तावेज: नियुक्तियों से संबंधित सभी दस्तावेज RTI के अंतर्गत मांगे जा सकते हैं।

✅ CIC का आदेश रद्द: कोर्ट ने CIC द्वारा गोपनीयता की आड़ में जानकारी न देने को गलत ठहराया।

✅ पारदर्शिता की जीत: यह फैसला सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा।

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