प्रतिबंधित थाई मांगुर-बिग हेड का धंधा चरम पर, विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में

दुर्ग में थाई मांगुर और बिग हेड मछली का धंधा जारी, विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल

दुर्ग। किताबों में हमने पढ़ा है कि “मछली जल की रानी है”, लेकिन दुर्ग जिले में कुछ ऐसी विदेशी मछलियों का पालन व विक्रय खुलेआम किया जा रहा है जो जल की रानी को ही निगल जाती हैं। थाई मांगुर और बिग हेड जैसी मछलियां न केवल स्थानीय मछलियों को खा जाती हैं, बल्कि पूरे तालाब के पारिस्थितिकी तंत्र को भी खतरे में डाल देती हैं।

दुर्ग जिले में प्रतिबंधित थाई मांगुर और बिग हेड मछलियों का धंधा खुलेआम चल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजपत्र में स्पष्ट प्रतिबंध के बावजूद इन जहरीली मछलियों की बिक्री पर न तो रोक लगी है और न ही जिम्मेदार विभागों ने कोई ठोस कार्रवाई की है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजपत्र में इन मछलियों के पालन और विक्रय पर वर्षों पहले प्रतिबंध लगाया जा चुका है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। पिछले 10 वर्षों से विभाग ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की, और नतीजा यह है कि खुलेआम दुर्ग के इंदिरा मार्केट,नयापारा जैसे इलाकों में इनकी बिक्री धड़ल्ले से जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह केवल कानून की अनदेखी नहीं, बल्कि जल संसाधनों और मछली पालन के भविष्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो इन विदेशी प्रजातियों के कारण स्थानीय मछलियां और पारंपरिक मत्स्य पालन पूरी तरह खत्म हो सकता है।अब देखना यह होगा कि मत्स्य विभाग कब अपनी कुंभकर्णीय नींद से जागता है और इस अवैध व्यापार पर लगाम लगाता है।

छत्तीसगढ़ के हर ज़िले से आपके लिए लेकर आएंगे प्रतिबंधित मछलियों से सम्बन्धित खास खबरें, अगला अंक पढ़ना न भूलें — बने रहिए पंचायती समाचार के साथ!

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