क्यों सेहत के लिए नुकसानदायक है रिफाइंड ऑयल? पढ़ें सरसों का तेल क्यों है इससे बेहतर

नई दिल्ली: क्या आप भी हर दिन खाने में रिफाइंड तेल का इस्तेमाल करते हैं? अगर हां, तो जरा रुकिए! जिस तेल को आप हेल्दी समझकर अपने परिवार के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, वह आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकता है। आजकल ज्यादातर लोग रिफाइंड तेल का इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि इसे ‘हेल्दी’ और ‘लाइट’ बताकर बाजार में बेचा जाता है, लेकिन क्या वाकई यह सेहत के लिए अच्छा है?

आयुर्वेद और वैज्ञानिक शोधों के अनुसार, रिफाइंड तेल शरीर को कई नुकसान (Refined Oil Side Effects) पहुंचा सकता है, जबकि सरसों का तेल एक हेल्दी और नेचुरल ऑप्शन है। सरसों का तेल न सिर्फ हमारे पूर्वजों का पसंदीदा था, बल्कि इसके कई औषधीय गुण भी हैं। तो आइए जानते हैं कि रिफाइंड तेल से हमें क्या नुकसान हो सकते हैं और क्यों सरसों का तेल एक बेहतर विकल्प है।

रिफाइंड ऑयल के नुकसान

रिफाइंड तेल को बनाने के लिए इसे कई केमिकल प्रोसेसिंग और हाई-हीट ट्रीटमेंट से गुजारा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान तेल में मौजूद नैचुरल न्यूट्रिएंट्स (पोषक तत्व) नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं, इसे ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के लिए इसमें आर्टिफिशियल प्रिजर्वेटिव और केमिकल्स मिलाए जाते हैं, जो धीरे-धीरे शरीर पर नेगेटिव असर डालते हैं।
रिफाइंड तेल में ट्रांस फैट और अन्य हानिकारक तत्व हो सकते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं, जैसे-
दिल की बीमारियां: रिफाइंड तेल में मौजूद ट्रांस फैट और ऑक्सीडाइज़्ड कंपाउंड्स ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापा और डायबिटीज: इसमें अनहेल्दी फैट्स और केमिकल्स होते हैं, जो शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को बढ़ाते हैं और मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देते हैं, जिससे वजन बढ़ता है और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

पाचन तंत्र पर असर: यह तेल पचाने में भारी होता है और गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है।
हॉर्मोनल असंतुलन: रिफाइंड तेल में मौजूद केमिकल्स शरीर के हॉर्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

सरसों के तेल के फायदे
जहां रिफाइंड तेल सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है, वहीं सरसों का तेल आयुर्वेद में औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। इसे भारत में सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है और यह कई बीमारियों से बचाव में मदद कर सकता है। आइए जानते हैं इसके शानदार फायदों के बारे में।

  • हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद: सरसों के तेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड और हेल्दी मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं, जो दिल को स्वस्थ रखते हैं और बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में मदद करते हैं।
  • डायबिटीज और मोटापे से बचाव: यह शरीर के मेटाबॉलिज़्म को तेज़ करता है और हेल्दी फैट्स प्रदान करता है, जिससे मोटापा और डायबिटीज का खतरा कम होता है।
  • पाचन को सुधारता है: सरसों का तेल पाचन एंजाइम्स को सक्रिय करता है, जिससे खाना जल्दी और सही तरीके से पचता है। यह भूख बढ़ाने में भी मदद करता है।
  • एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण: सरसों के तेल में नेचुरल एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो शरीर को इन्फेक्शन से बचाने में मदद करती हैं।
  • सर्दी-ज़ुकाम में राहत: सरसों के तेल की मालिश करने से सर्दी, खांसी और जकड़न से राहत मिलती है। गर्म सरसों के तेल में लहसुन डालकर मालिश करने से तुरंत आराम मिलता है।
  • त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद: यह तेल त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और बालों को मजबूत व घना बनाता है।

रिफाइंड तेल या सरसों का तेल?

अब जब आप जान गए हैं कि रिफाइंड तेल सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है और सरसों का तेल फायदेमंद होता है, तो आपको अपने किचन में बदलाव लाने की जरूरत है। अगर आप अपनी और अपने परिवार की सेहत का ख्याल रखना चाहते हैं, तो रिफाइंड तेल की जगह सरसों के तेल को अपनाएं।

  • खाने में सरसों के तेल का यूज करें: सब्जी, दाल और पराठे बनाने के लिए सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।
  • संतुलित मात्रा में लें: किसी भी तेल का ज्यादा सेवन हानिकारक हो सकता है, इसलिए सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करें।
  • शुद्ध और कोल्ड-प्रेस्ड सरसों का तेल चुनें: केमिकल-मुक्त और ऑर्गेनिक तेल सेहत के लिए बेहतर होता है।

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