हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : पति नहीं ले सकता पत्नी की कॉल डिटेल, हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज…..

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : पति नहीं ले सकता पत्नी की कॉल डिटेल, हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज…..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति द्वारा पत्नी की कॉल डिटेल मांगे जाने वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि, अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गोपनीयता की गारंटी है। पति- पत्नी के रिश्ते के बीच निजी गोपनीयता जरूरी है। दुर्ग निवासी युवक ने HC जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच में यह याचिका लगाई थी।जाने पूरा मामलायह मामला दुर्ग जिले के एक युवक से जुड़ा है, जिसका विवाह 4 जुलाई 2022 को राजनांदगांव निवासी युवती से हुआ था।

विवाह के कुछ ही दिनों बाद संबंधों में खटास आ गई। पति ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i) के अंतर्गत तलाक की याचिका दाखिल की, साथ ही वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना हेतु भी याचिका (धारा 9) लगाई। दूसरी तरफ पत्नी ने भी पति के खिलाफ धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण की मांग की और साथ ही पति के माता-पिता व भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्यवाही की।इसी दौरान पति ने पत्नी की कॉल डिटेल प्राप्त करने हेतु एसएसपी, दुर्ग को आवेदन दिया। पुलिस द्वारा जानकारी न देने पर उसने पहले पारिवारिक न्यायालय और फिर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि, विवाह विच्छेद की याचिका में व्यभिचार या संदेह जैसा कोई आरोप नहीं लगाया गया, जिससे कॉल डिटेल की मांग को औचित्य नहीं दिया जा सकता। निजता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है, जिसमें मोबाइल पर हुई निजी बातचीत भी शामिल है।कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाह, साझेदारी का संबंध है, स्वामित्व का नहीं। पति-पत्नी दोनों के पास अपने व्यक्तिगत जीवन, संचार और गोपनीयता का पूरा अधिकार है।

कोई भी पति अपनी पत्नी को मोबाइल या बैंक पासवर्ड साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। इन तथ्यों और संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए पति की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि, किसी भी व्यक्ति की अंतरंग बातचीत, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित, उसकी निजता का अभिन्न हिस्सा है और उसे बिना पर्याप्त कानूनी आधार के उजागर नहीं किया जा सकता

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